उत्तराखंड के उत्तरकाशी में सिलक्यारा टनल हादसा (Uttarkashi Tunnel Collapse) देशभर में तमाम प्रोजेक्ट में काम कर रही कंपनियों के लिए एक उदाहरण बन गया है. इसलिए ये हादसा क्यों हुआ, इसका पता लगाना बेहद जरूरी है. ताकि इस हादसे के पीछे के कारणों का पता चल सके और उसे आगे दुरुस्त किया जा सके. साथ ही इस हादसे के जिम्मेदार लोगों को सजा भी मिल सके. उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी (Uttarakhand CM Pushkar Singh Dhami) ने सिल्क्यारा हादसे की विस्तृत समीक्षा किए जाने की बात कही है. वहीं, इस हादसे से सबक लेते हुए नेशनल हाइवेज अथॉरिटी ऑफ इंडिया (NHAI) ने सभी 29 निर्माणाधीन टनल की ऑडिट करने का फैसला किया है.
टनल एक्सपर्ट्स मानते हैं कि देश में रेलवे के टनल और हाइड्रोपावर टनल की भी सेफ्टी ऑडिट होनी चाहिए. टनल एक जोखिम भरा वेंचर है. ऐसे में सरकार को इस हादसे से सीख लेते हुए आगे बढ़ना होगा.
उन्होंने कहा, "हमें खुदाई के समय कई चीज़ें नहीं पता होती हैं. खुदाई से पहले ये सब पता लगाया जाना चाहिए. ये सारी चीज़ें टनल कंस्ट्रक्शन के डिज़ाइन इनपुट में शामिल होनी चाहिए".
विशेषज्ञों के मुताबिक सवाल सुरक्षा पैमाने को लेकर भी उठ रहे हैं. इस मामले में एस्केप टनल (Escape Tunnel) का न होना दुर्भाग्यपूर्ण था.
क्या कहते हैं एक्सपर्ट?
प्रोफेसर जगदीश तेलंगराव साहू ने NDTV से कहा, "टनल के कंस्ट्रक्शन के दौरान दो पहलू महत्वपूर्ण होते हैं. खुदाई से पहले साइड इन्वेस्टिगेशन के ज़रिये आप नॉन-डिस्ट्रक्टिव टेस्टिंग या बोर होल्स (Bore Holes)के ज़रिये जानकारी इकट्ठा करें."
क्या कहते हैं सीएम?
वहीं, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बुधवार को NDTV से कहा, "हादसे की समीक्षा की जाएगी. राज्य में पहले भी बड़ी-बड़ी सुरंगें बन चुकी हैं, लेकिन यह हादसा कैसे हुआ इसकी समीक्षा की जाएगी. जो भी कमियां पायी जाएंगी हम उसे दूर करेंगे."
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