Bihar Elections: बिहार में इसी साल विधानसभा चुनाव होना है. राज्य की सभी पार्टियां अपनी-अपनी तैयारियों में जुटे हैं. लेकिन इस बार बिहार चुनाव में पप्पू यादव की पार्टी नजर नहीं आएगी. क्योंकि पप्पू यादव ने अपनी पार्टी का विलय कांग्रेस में करा दिया था. हालांकि इस विलय के बाद भी पप्पू यादव निर्दलीय लोकसभा चुनाव लड़े और जीते. कुछ दिनों पहले बिहार चुनाव के लिए दिल्ली में कांग्रेस की बैठक में भी पप्पू यादव को नहीं बुलाया गया था. जिससे पूर्णिया सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव नाराज नजर आए थे. पप्पू यादव ने कहा था, "मुझे इस मीटिंग के बारे में जानकारी भी नहीं थी और बुलाया भी नहीं गया. मैं कांग्रेस के संसदीय दल की बैठक में शामिल होता हूं, जहां कहीं भी चुनाव होता है, वहां प्रचार करता हूं. जो भी जिम्मेदारी नेतृत्व की ओर से दी जाती है, उसे पूरा करता हूं. फिर भी बिहार को लेकर हुई बैठक में मुझे क्यों नहीं बुलाया गया, यह समझ से परे है."
पप्पू यादव के इस बयान के बाद उनके राजनीतिक भविष्य को लेकर कयास लगाए जा रहे थे. लेकिन अब अहमदाबाद में कांग्रेस के अधिवेशन में पप्पू यादव के शामिल होने से इन कयासबाजियों पर विराम लग गया है.
कांग्रेस राजा है, मैं रंक हूंः पप्पू यादव
साथ ही पप्पू यादव का एक बयान भी चर्चा में है. पप्पू यादव ने कहा, "कांग्रेस राजा है और मैं रंक हूं". उनके इस बयान का यह मतलब निकाला जा रहा है कि पप्पू यादव को कांग्रेस से जो तकलीफ थी, वो शायद दूर हो गई है.
बिहार के बदलाव में कांग्रेस की भूमिका अहम, पूरी निष्ठा से निभाऊंगा जिम्मेदारीः पप्पू यादव
अहमदाबाद में कांग्रेस के अधिवेशन में शामिल हुए पप्पू यादव ने सोशल मीडिया पर लिखा- आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, वैचारिक और संवैधानिक मूल्यों की रक्षा व देशहित में उठने वाली हर आवाज में मैं सदैव शामिल रहूंगा. आज इवेंट्स सेंटर, साबरमती रिवर फ्रंट, पालड़ी, अहमदाबाद में AICC (ऑल इंडिया कांग्रेस कमिटी) की बैठक में कांग्रेस के आमंत्रण पर भाग लेने का अवसर मिला.

पप्पू यादव ने आगे लिखा- बिहार में आने वाले समय में बदलाव की दिशा में ठोस कदम बढ़ा दिए हैं, जिसमें कांग्रेस की भूमिका महत्वपूर्ण होने वाली है और उस परिवर्तन यात्रा में अपनी जिम्मेदारी को मैं पूरी निष्ठा से निभाऊंगा.
गौरतलब हो कि हाल ही में बिहार कांग्रेस की दिल्ली मीटिंग में नहीं बुलाए जाने से नाराज पप्पू यादव थे. उसके बाद पप्पू के इस बयान के कई मतलब निकाले जा रहे हैं. जब दिल्ली में बिहार को लेकर कांग्रेस की बैठक हुई थी तब एनडीटीवी से बातचीत में पप्पू का दर्द छलका था.
बिहार वाली मीटिंग में नहीं बुलाए जाने पर क्या बोले थे पप्पू यादव
पप्पू यादव ने कहा था कि मुझे तो उस मीटिंग के बारे में जानकारी भी नहीं दी गई और तो और बुलाया भी नहीं गया. पप्पू ने कहा था कि मुझे कांग्रेस के संसदीय दल की बैठक में बुलाया जाता है और जहां कहीं भी चुनाव होता है वहां मैं कांग्रेस के पक्ष में प्रचार करने के लिए जाता हूं . जो भी जिम्मेदारी और कांग्रेस नेतृत्व की ओर से दायित्व दिया जाता है मैं उसे पूरा करता हूं. मैं लगातार कांग्रेस के विचारों के साथ हूं चुनाव जीतने के बाद भी उनका क्या मजबूरी है . उन्हींने यहां तक कहा कि यह मुझे समझ में नहीं आता है यह मेरा दुर्भाग्य है क्या कारण है आप संसदीय दल की बैठक क्यों बुलाते हैं एसोसिएट मेंबर हैं और जब बिहार को लेकर बात होती है तो आप बुलाते तक नहीं है.

दुख तो इतना पहुंचा है इसका अंदाजा आपको नहीं होगा. बिहार का चुनाव हो और पप्पू यादव जो संघर्ष का चेहरा हो उसको बैठक में ना बुलाए. इसे बड़ा दुख क्या होगा बहुत बड़ा दुखद है.
पप्पू यादव की कांग्रेस की नाराजगी की वजह
पप्पू के कांग्रेस से नाराजगी की वजह जायज भी लगती है. चुनाव से ठीक पहले पप्पू यादव ने अपनी पार्टी का विलय दिल्ली में कांग्रेस में कर दिया लेकिन चुनाव में कांग्रेस ने पप्पू को टिकट तक नहीं दिया. उल्टे पप्पू को हराने के लिए बिहार में कांग्रेस का चुनावी साझीदार पप्पू को हराने में कोई कसर नहीं छोड़ रखी.
पप्पू यादव की पत्नी कांग्रेस से राज्यसभा सांसद
तेजस्वी यादव ने पूर्णिया में चुने प्रचार के दौरान यहां तक कर डाला कि अगर आप मन गठबंधन को उम्मीदवार को वोट नहीं देते हैं तो एनडीए उम्मीदवार को जिताए. लेकिन पप्पू यादव के पक्ष में कांग्रेस के किसी एक भी नेता ने एक शब्द तक नहीं कहा पप्पू यादव को कांग्रेस का चुनाव चिन्ह ना मिलने पर पूर्णिया से निर्दलीय चुनाव लड़ना पड़ा. गौरतलब है कि पप्पू यादव की पत्नी रंजीत रंजन कांग्रेस से राज्यसभा सदस्य भी है.
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