सेना अधिकारी ने बताया कि इतनी कम उम्र में लेफ्टिनेंट तिवारी ने अपने साथी की जान को अपनी जान से ऊपर रखा, आगे बढ़कर नेतृत्व किया और सैन्य नैतिकता और वीरता के उच्चतम मानकों को कायम रखते हुए भारतीय सेना की बेहतरीन परंपराओं को निभाया.
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