Thursday, November 28, 2024

कुंठा और बदले की राजनीति कर रहे राहुल गांधी : अदाणी ग्रुप पर आरोप को लेकर बोले मनीष बरियार

राहुल गांधी की पिछले एक-डेढ़ साल के अंदर की राजनीति देखें, तो उसमें हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट से लेकर SEBI पर लगे आरोप, संविधान, आरक्षण को लेकर भ्रम फैलाना... सवाल उठता है कि राहुल गांधी आखिर किस तरह की राजनीति कर रहे हैं? क्या झूठ और भ्रम के दम पर विपक्ष का नेता अपनी राजनीति चमका सकता है? इसके जवाब में पॉलिटिकल एनालिस्ट मनीष बरियार कहते हैं, "राहुल गांधी के लिए एक शब्द इस्तेमाल किया जा सकता है. वह शब्द है 'कुंठा'. राहुल गांधी कुंठा की राजनीति करते हैं." 

 मनीष बरियार कहते हैं, "मुझे लगता है कि वह अभी भी इस बात से नाराज हैं कि उनके परिवार पर बोफोर्स घोटाले के आरोप लगे थे. जिस तरह से मीडिया और बाकी राजनीतिक दल राहुल गांधी के परिवार और कांग्रेस पार्टी के खिलाफ काफी कुछ सबूत लेकर आए... इससे उन्हें घोर नाराजगी है."

बरियार कहते हैं, "मुझे लगता है कि राहुल गांधी किसी न किसी तरह से अपने विरोधियों पर ऐसे आरोप लगाकर अपनी मन को एक तरह से शांति दे रहे हैं. ये बदले की राजनीति है. इसमें समझ कहीं भी नहीं है. उन्हें ये भी समझ नहीं आ रहा कि वो जिस तरह की राजनीति कर रहे हैं, उससे देश का बहुत नुकसान हो रहा है. देश का तो नुकसान हो ही रहा है. निवेशकों का भी अच्छा-खासा नुकसान हो रहा है. शायद यही कारण है कि देश की जनता राहुल गांधी को बार-बार रिजेक्ट कर रही है."

उन्होंने कहा, "अगर कोई बदले की भावना से कोई काम करता है, तो उसका नतीजा हमने हरियाणा, महाराष्ट्र में देख लिया. अब देश के बाकी राज्यों में भी ऐसे नतीजे देखेंगे. राहुल गांधी की तरफ से पॉजिटिव राजनीति नहीं है." बरियार कहते हैं, "राहुल गांधी की हिट एंड रन वाली राजनीति से देश के बिजनेसमैन, इंवेस्टर्स को नुकसान पहुंचाते हैं. इससे दो-चार लोग उनके लिए तालियां बजाते हैं"

बरियार के मुताबिक, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दो साजिश हो रही है, राहुल गांधी उसका भी हिस्सा बन चुके हैं. कई बार उनकी तस्वीरें अमेरिकी कारोबारी जॉर्ज सोरोस और उनके साथियों के साथ सामने आई हैं. राहुल गांधी जब भी विदेश जाते हैं, इन लोगों से जरूर मुलाकात करते हैं."

बरियार ने कहा, "मुझे नहीं पता कि राहुल गांधी को सलाह देता है, लेकिन देश के वोटर्स उनकी बातों को बहुत गंभीरता से लेते हैं. देश की जनता को राहुल गांधी की तरह से यही मैसेज जाता है कि ये नेता विपक्ष हैं और देश के हित में कोई बात कर रहे हैं. लेकिन ये भ्रम के सिवाय और कुछ नहीं होता."    


 



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