शर्मिष्ठा मुखर्जी (Sharmistha Mukherjee) ने अपने पिता और पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी (Pranab Mukherjee) की जयंती पर कुछ किस्से साझा किए. ये भी बताया कि प्रधानमंत्री मोदी और प्रणब दा के संबंध नए नहीं बल्कि बहुत पुराने थे. शर्मिष्ठा मुखर्जी ने बताया कि मेरे पिता और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) के बीच संबंध राजनीतिक सीमाओं से परे था. ऐसा आमतौर पर देखने को नहीं मिलता है. पीएम मोदी ने शर्मिष्ठा मुखर्जी को इसके लिए धन्यवाद दिया है.
शर्मिष्ठा मुखर्जी के वीडियो को शेयर करते हुए पीएम मोदी ने एक्स पर लिखा, "प्रणब बाबू के साथ मेरी बातचीत की कई यादें वापस लाने के लिए शर्मिष्ठा जी को धन्यवाद. मैं उनके साथ अपने जुड़ाव को हमेशा याद रखूंगा. उनकी अंतर्दृष्टि और बुद्धिमत्ता अद्वितीय थी."
Thank you Sharmistha Ji for bringing back several memories of my interactions with Pranab Babu. I will always cherish my association with him. His insights and wisdom remain unparalleled.@Sharmistha_GK https://t.co/sFPS7ODpyu
— Narendra Modi (@narendramodi) December 11, 2024
एक टीम की तरह काम करते थे : शर्मिष्ठा
उन्होंने कहा, “यह बात बिलकुल सार्वजनिक थी कि मोदी जी, प्रधानमंत्री के रूप में, और प्रणब मुखर्जी, राष्ट्रपति के रूप में, किस तरह से एक टीम की तरह काम करते थे. दोनों ने एकदम लोकतांत्रिक ढंग से काम किया. यह हैरान करने वाली बात थी, क्योंकि दोनों की राजनीतिक और वैचारिक पृष्ठभूमि बिलकुल अलग थी. मुझे बाबा की डायरी पढ़ने के बाद और मोदी जी से कुछ दिलचस्प बातें जानने के बाद ये सारी बातें समझ में आईं.”
शर्मिष्ठा मुखर्जी ने कहा, “एक बार जब मोदी जी प्रधानमंत्री बनने के बाद बाबा से मिलने गए, तो उन्होंने बाबा के पैर छुए और कहा, "दादा, आप मुझे मेरे छोटे भाई की तरह मार्गदर्शन दीजिए." बाबा ने उन्हें पूरी मदद का आश्वासन दिया. मोदी जी ने मुझे बताया कि उनका संबंध बाबा से बहुत पुराना है, और ये सिर्फ गुजरात के मुख्यमंत्री बनने के बाद का नहीं था. वह पहले भी, जब आरएसएस के साधारण कार्यकर्ता थे, बाबा से मिलने आते थे. दिल्ली में नॉर्थ एवेन्यू और साउथ एवेन्यू में उनकी मुलाकातें होती थीं.”
PM मोदी को बताया था पेशेवर और फोकस्ड
उन्होंने कहा, “मोदी जी ने मुझे बताया कि जब वे गुजरात के मुख्यमंत्री थे, तो एक बार बाबा ने डायरी में लिखा था कि मोदी जी कांग्रेस सरकार के आलोचक हैं, लेकिन जब भी वह निजी तौर पर बाबा से मिलते, तो हमेशा उनके पैर छूते थे. बाबा ने यह भी लिखा था कि मोदी जी की इज्जत उन्हें बहुत अजीब तरह से महसूस होती थी, हालांकि वह खुद नहीं जानते थे. इसका कारण क्या था.”
पूर्व राष्ट्रपति की बेटी ने कहा, “एक और दिलचस्प बात यह है कि जब मोदी जी प्रधानमंत्री बने, तो उन्होंने बाबा से मिलने के बाद कहा कि उन्हें अपनी विदेश नीति को समझने में मदद मिली थी. बाबा ने कहा था कि मोदी जी को विदेशी मामलों में गहरी समझ है, और वह जल्दी ही विदेश नीति के जटिल पहलुओं को समझने में सक्षम हो गए थे.”
वे बताती हैं, “मोदी जी की कार्यशैली के बारे में बाबा ने लिखा था कि वह बहुत ही पेशेवर और फोकस्ड हैं. बाबा ने यह भी कहा था कि मोदी जी ने राज्य राजनीति से निकलकर राष्ट्रीय राजनीति में अपनी पहचान बनाई, और यही कारण था कि उन्हें विदेश नीति और अन्य मामलों में त्वरित समझ मिली.”
बाबा को भारत रत्न मिला तो एक पत्रकार से पता चला : शर्मिष्ठा
उन्होंने कहा, “एक और दिलचस्प घटना यह थी कि जब बाबा थोड़े समय के लिए राष्ट्रपति पद से रिटायर हुए, और मोदी जी ने उन्हें फोन किया.”
वे बताती हैं, “जब बाबा को भारत रत्न मिला, तो मुझे एक पत्रकार से पता चला. मोदी जी ने इसे एक गुप्त सूचना की तरह रखा था. मुझे बाद में पता चला कि प्रधानमंत्री ने बाबा को पहले फोन किया था. लेकिन, यह तब तक सार्वजनिक नहीं किया गया, जब तक इसकी आधिकारिक घोषणा नहीं हुई.”
शर्मिष्ठा ने आगे कहा, “इससे मुझे यह समझ में आया कि मोदी सरकार ने वास्तव में एक अच्छे और सच्चे तरीके से काम किया है, और प्रधानमंत्री मोदी ने बाबा के प्रति अपना सम्मान और स्नेह हमेशा दिखाया.”
PM मोदी ने दी पूर्व राष्ट्रपति को श्रद्धांजलि
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बुधवार को पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि दी और कहा कि वह एक ऐसी अनूठी हस्ती थे जो एक उत्कृष्ट राजनेता होने के साथ ही अद्भुत प्रशासक और ज्ञान का भंडार भी थे. कांग्रेस के वरिष्ठ एवं अनुभवी नेता मुखर्जी ने भारत का 13 वां राष्ट्रपति बनने से पहले कई सरकारों में केंद्रीय मंत्री के रूप में कार्य किया. 31 अगस्त, 2020 को 84 वर्ष की आयु में उनका निधन हो गया.
प्रधानमंत्री ने सोशल मीडिया मंच 'एक्स' पर एक पोस्ट में कहा, 'प्रणब मुखर्जी को उनकी जयंती पर याद कर रहा हूं. प्रणब बाबू एक ऐसी अनूठी हस्ती थे जो एक उत्कृष्ट राजनेता होने के साथ ही अद्भुत प्रशासक और ज्ञान का भंडार भी थे.'
उन्होंने कहा, 'भारत के विकास में उनका योगदान उल्लेखनीय है. उनके पास विभिन्न क्षेत्रों में आम सहमति बनाने की अद्भुत क्षमता थी और यह शासन में उनके व्यापक अनुभव और भारत की संस्कृति एवं लोकाचार के बारे में उनकी गहरी समझ के कारण संभव हुआ.'
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