भारत बायोटेक (बीबीआईएल) ने बताया है कि वह आईसीएमआर को कोविड-19 वैक्सीन पेटेंट के को-ओनर के रूप में जोड़ेगा. इसकी प्रक्रिया शुरू हो गई है. आईसीएमआर को को-ओनर बनाने के कारण का खुलासा करते हुए भारत बायोटेक ने बताया कि कोविड के समय उसका पूरा ध्यान जल्द से जल्द वैक्सीन को उपलब्ध कराने पर था. कोविड वैक्सीन बनाने में उसे कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा. दुनिया भर की कंपनियां भी किसी भी डेटा के पत्रिकाओं में प्रकाशित होने से पहले अपने टीके विकसित करने और उचित पेटेंट दाखिल करने की जल्दी में थीं.
इसी परिस्थितियों के बीच भारत बायोटेक का कोविड वैक्सीन आवेदन दायर किया गया था और चूंकि बीबीआईएल-आईसीएमआर समझौते की प्रति एक गोपनीय दस्तावेज होने के कारण उपलब्ध नहीं थी, इसलिए आईसीएमआर को मूल आवेदन में शामिल नहीं किया गया था. हालांकि यह पूरी तरह से अनजाने में था, ऐसी गलतियां पेटेंट कार्यालय के लिए असामान्य नहीं हैं, इसलिए पेटेंट कानून ऐसी गलतियों को सुधारने के लिए प्रावधान प्रदान करता है.
भारत बायोटेक आईसीएमआर का बहुत सम्मान करता है और विभिन्न परियोजनाओं पर उनके निरंतर समर्थन के लिए आभारी है, इसलिए जैसे ही इस अनजाने में हुई गलती का ध्यान आया, बीबीआईएल ने पहले ही आईसीएमआर को कोविड-19 वैक्सीन के लिए पेटेंट आवेदनों के को-ओनर के रूप में शामिल करके इसे सुधारने की प्रक्रिया शुरू कर दी है.
इसके लिए आवश्यक कानूनी दस्तावेज तैयार किए जा रहे हैं और बीबीआईएल उन दस्तावेजों को तैयार और हस्ताक्षरित होते ही पेटेंट कार्यालय में दाखिल कर देगा. ये कार्रवाइयां अप्रैल 2020 में COVID-19 वैक्सीन के संयुक्त विकास के लिए आईसीएमआर-एनआईवी पुणे और बीबीआईएल के बीच हस्ताक्षरित समझौता ज्ञापन (एमओयू) के अनुसार हैं.
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