Tuesday, June 25, 2024

केंद्र सरकार ने 31 मार्च 2025 तक गेहूं पर लगाई स्टॉक लिमिट, कीमतों में उछाल पर लगेगी लगाम!

केंद्र सरकार ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 31 मार्च, 2025 तक के लिए गेहूं की स्टॉक सीमा लागू कर दिया है. नए स्टॉक लिमिट्स सोमवार से ही देशभर में लागू कर दिए गए हैं. पिछले शुक्रवार को ही उपभोक्ता मामलों के विभाग ने तूर दाल और चना के लिए भी स्टॉक लिमिट्स लगाने का फैसला किया था. ये फैसले इन एसेंशियल कमोडिटीज़ की कीमतों को नियंत्रित और स्थिर करने के लिए किये गए हैं.

देश में गेहूं की जमाखोरी और मुनाफाखोरी को रोकने के लिए भारत सरकार ने देशभर के गेहूं के व्यापारियों/थोक विक्रेताओं, खुदरा विक्रेताओं, Big Chain Retailers और Processors पर स्टॉक लिमिट लगा दी है, यानी गेहूं के स्टॉक की मात्रा की सीमा तय कर दी है.

कृषि भवन में इस अहम फैसले का ऐलान करते हुए खाद्य सचिव संजीव चोपड़ा ने कहा कि सोमवार से व्यापारियों/थोक विक्रेताओं के लिए स्टॉक लिमिट 3000 मीट्रिक टन, खुदरा विक्रेताओं के प्रत्येक Retail Outlet के लिए 10 मीट्रिक टन और Big Chain Retailer के प्रत्येक दुकान के लिए 10 मीट्रिक टन और उनके सभी डिपो पर 3000 मीट्रिक टन की स्टॉक लिमिट तय किया गया है.

संजीव चोपड़ा ने कहा, "केंद्र सरकार ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 31 मार्च, 2025 तक के लिए गेहूं की स्टॉक सीमा लागू कर दिया है. आज देश में गेहूं की कोई कमी नहीं है. पिछले साल की तुलना में देश में गेहूं का केवल 3 लाख मीट्रिक टन कम स्टॉक उपलब्ध है. 2024-25 में गेहूं की कीमतें स्थिर रखी जाएंगी. हमारे पास गेहूं की कीमत को नियंत्रण में रखने के लिए उपकरण उपलब्ध हैं. सभी विकल्प खुले हैं, कोई भी विकल्प बंद नहीं किया गया है. हमने केवल एक उपकरण का उपयोग करने का निर्णय लिया है - गेहूं पर स्टॉक सीमा लागू करना"

Latest and Breaking News on NDTV

पिछले ही शुक्रवार को उपभोक्ता मामलों के विभाग ने तूर दाल और चना की कीमतों को स्थिर और नियंत्रित करने के लिए उन पर स्टॉक लिमिट लगाने का फैसला किया था.

उपभोक्ता मामलों की सचिव निधि खरे ने एनडीटीवी से कहा, "Heat Wave का दालों की प्रॉडक्शन और प्रोडक्टिविटी पर काफी ज्यादा असर पड़ा. इसकी वजह से उसकी उपलब्धता कम रही और कीमतें बढ़ गई थी. पिछले 6 महीने से दालों की जो कीमत है, वह एक ऊंचे स्तर पर बना हुआ था. इस कारण से कीमतों को मॉडरेट करने के लिए हमने आयात करने की कोशिश की. हमें लगा कि कुछ व्यापारी होर्डिंग कर रहे हैं. इसी को नियंत्रित करने के लिए स्टॉक लिमिट लगाया गया है. स्टॉक लिमिट एक सीमित अवधि के लिए लगाया गया है. तब तक खरीफ की जो उपज है और जो अफ्रीका से तूर दाल और ऑस्ट्रेलिया से जो चना दाल का आयात होगा, उससे बाजार में उपलब्धता बढ़ेगी और इससे कीमतें और कम होगी."

एनडीटीवी ने जब निधि खरे से पूछा कि पिछले 3-4 दिन में तूर दाल और चना पर स्टॉक लिमिट लगाने के कैसे नतीजे आये हैं तो उन्होंने कहा, "तूर और चना पर जो स्टॉक लिमिट लगाया गया, उसका होलसेल मार्केट में काफी अच्छा असर बाजार पर पड़ा है. थोक बाजारों में चने की कीमत में 50 से 200 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट आई है. प्रमुख थोक बाजारों में तूर दाल की कीमत में 50 से 200 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट आई है.  अगले कुछ दिनों में रिटेल मार्केट में भी इसका असर दिखने लगेगा."

उपभोक्ता मामलों के विभाग को उम्मीद है कि आने वाले दिनों में सब्जियों की कीमतों में भी कमी आएगी.

निधि खरे ने एनडीटीवी से कहा, "Heat Wave की वजह से सब्जियों की जो उपलब्धता थी, Mandi में वो प्रभावित हुई थी. अब जैसे ही मानसून सीजन शुरू हुआ है सब्जियों की सप्लाई बाजार में बढ़ेगी, कीमत घटेंगे. खरीफ सीजन के दौरान किसान अच्छी कोशिश कर रहे हैं. मैंने राज्य सरकारों के साथ बातचीत की है. उन्होंने ये आशा जताई है कि जहां पिछले साल 2.85 लाख Net Sown Area था, वो इस बार बढ़कर 3.53 लाख हेक्टेयर हो गया है. हमें उम्मीद है कि खरीफ सीजन के दौरान प्याज की उपलब्धता बढ़ेगी और जो कमी है उसकी भरपाई होगी."

ज़ाहिर है, मौसम की अनिश्चितताओं के इस दौर में सरकार को मॉनसून सीजन के दौरान बेहद सतर्क और सजग रहना होगा.



from NDTV India - Latest https://ift.tt/c7rFeoy

No comments:

Post a Comment