क्या आपने कभी सुना है कि शुरुआती स्तर की शिक्षा की उम्र में ही किसी को कॉलेज में दाखिला मिल जाए? हो सकता है आपको यह सवाल कुछ अजीब लगे लेकिन मध्य प्रदेश के इंदौर जिले में असाधारण प्रतिभा से संपन्न 13 साल की लड़की को कॉलेज में दाखिला मिला है. प्रतिभावान तनिष्का सुजीत ने एक अप्रैल को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भोपाल दौरे के दौरान उनके साथ मुलाकात की. तनिष्का ने करीब 15 मिनट तक पीएम मोदी से बातचीत की थी. उसने नौ साल की उम्र में पांचवीं पास की और उसके बाद 11 साल की उम्र में सीधे बोर्ड की परीक्षा दी.
तनिष्का नेे तीन साल पहले 2020 में कोविड-19 महामारी के दौरान अपने पिता सुजीत को खो दिया था. तनिष्का के पिता ही उसके शिक्षक थे. अपनी बेटी को बोर्ड परीक्षा में शामिल करने के लिए उन्हें राज्यपाल से विशेष अनुमति मिली थी.
तनिष्का ने कहा, ‘जब मेरे पिता सुजीत 10वीं और 12वीं क्लास के स्टूडेंट्स को कोचिंग पढ़ाते थे, उस वक्त मैं 9 साल की थी और 5वीं में पढ़ती थी. उनकी कोचिंग देखने के बाद मुझे 10वीं पढ़ने का मन हुआ. मेरे पिता को भी ऐसा लगा कि मैं यह कर सकती हूं. इसके बाद उन्होंने राज्यपाल से विशेष अनुमति लेने के लिए कोशिश शुरू की और इसमें एक साल लग गया.‘
उसने कहा, ‘अनुमति मिलने के बाद 11 साल की उम्र में मैंने 10वीं और उसके बाद 12 साल की उम्र में 12वीं पास की. मध्यप्रदेश में यह पहला मामला था, जिसके लिए मेरी अलग से परीक्षा भी ली गई थी.‘
इसके बाद तनिष्का ने 13 साल की उम्र में देवी अहिल्या विश्वविद्यालय (डीएवीवी) में बीए (मनोविज्ञान) में प्रवेश लिया. तनिष्का ने कहा कि अब वह 15 साल की उम्र में स्नातक के अंतिम वर्ष में है.
उसके पिता सुजीत 2020 में कोविड-19 से संक्रमित हो गए थे. उस वक्त तनिष्का की इंटरमीडिएट की परीक्षा चल रही थी, लेकिन परिणाम आने से पहले ही उसके पिता का निधन हो गया.
उन्होंने पीएम मोदी से मुलाकात के बारे में बात करते हुए कहा, ‘मुझे प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) से फोन आया. उन्होंने मुझे एक अप्रैल को भोपाल मिलने के लिए बुलाया. पीएम मोदी ने मुझसे 15 मिनट तक बात की और मेरे बारे में पूछा. यह भी पूछा कि वह मुझसे क्या सीख सकते हैं, तो मैंने उन्हें समर्पण और कड़ी मेहनत के बारे में बताया जो पहले से ही उनमें है.‘
तनिष्का ने कहा, "मैंने उन्हें अपने सपने के बारे में भी बताया कि मनोविज्ञान में बीए करने के बाद मैं अमेरिका जाऊंगी और ‘ज्यूरिस डॉक्टर‘ (डॉक्टर ऑफ ज्यूरिसप्रुडेंस या जेडी) बनूंगी. (यह कानून में स्नातक-प्रवेश पेशेवर डिग्री है). यह कोर्स भारत में उपलब्ध नहीं है. उसके बाद मैं भारत की चीफ जस्टिस बनना चाहती हूं."
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