गृह मंत्री अमित शाह और संसदीय राजभाषा समिति के सदस्यों ने सोमवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात कर राजभाषा समिति के प्रतिवेदन का 12वां खंड सौंपा. राष्ट्रपति भवन ने सोशल मीडिया साइट ‘एक्स (पूर्व में ट्विटर)' पर पोस्ट किया, ‘‘संसदीय राजभाषा समिति के अध्यक्ष तथा केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह और समिति के सदस्यों ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से राष्ट्रपति भवन में मुलाकात की और संसदीय राजभाषा समिति के प्रतिवेदन का 12वां खण्ड राष्ट्रपति को प्रस्तुत किया.''
शाह ने ‘एक्स' पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘आज माननीय राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू जी से संसदीय राजभाषा समिति के सदस्यों के साथ भेंट की और उन्हें राजभाषा समिति के प्रतिवेदन का 12वां खंड सौंपा.'' उन्होंने कहा, ‘‘साथ ही, राजभाषा को और अधिक लोकोपयोगी बनाने के विषय पर चर्चा की. '' इस दौरान 15 से अधिक सांसद तथा केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा तथा निशीथ प्रमाणिक भी मौजूद थे. राजभाषा समिति के प्रतिवेदन के 12वें खंड को समिति की अगस्त में हुई 38वीं बैठक में मंजूरी मिली थी.
चार अगस्त की बैठक में, गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि भारतीय भाषाओं के प्रसार के लिए इससे अनुकूल समय कोई और नहीं हो सकता जब देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी हर वैश्विक मंच पर हिन्दी सहित अन्य भारतीय भाषाओं को गर्व से रखते हैं. शाह ने कहा था कि प्रधानमंत्री मोदी ने पहल करके इंजीनियरिंग और मेडिकल के पाठ्यक्रमों को 10 भाषाओं में शुरू कर दिया है और जल्द ही ये सभी भारतीय भाषाओं में उपलब्ध होंगे और वह क्षण स्थानीय भाषाओं और राजभाषा के उदय की शुरूआत का क्षण होगा.
उन्होंने कहा था कि प्रधानमंत्री मोदी संसद में एक भी भाषण अंग्रेजी में नहीं देते और सरकार के मंत्री भी भारतीय भाषाओं में भाषण देने का प्रयास करते हैं, इससे अलग-अलग भाषाओं को जोड़ने के आंदोलन को बहुत गति मिलती है. शाह ने कहा था कि हिन्दी की स्पर्धा स्थानीय भाषाओं से नहीं है, सभी भारतीय भाषाओं को प्रोत्साहन देने से ही राष्ट्र सशक्त होगा. उन्होंने कहा था कि राजभाषा की स्वीकृति कानून या सर्कुलर से नहीं बल्कि सद्भावना, प्रेरणा और प्रयास से आती है.
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