G-20 इंडिया प्रेसीडेंसी के दौरान भारत समेत G-20 देशों ने अर्थव्यवस्था के क्षेत्र में विदेशी निवेश बढ़ाने पर विशेष ध्यान दिया है. अब इस पहल के कारगर नतीजे सामने आने लगे हैं. G-20 सम्मेलन से ठीक पहले नाइजीरिया के राष्ट्रपति के साथ एक बिजनेस मीटिंग के दौरान भारतीय उद्योगपतियों ने 14 बिलियन अमेरिकी डॉलर का नया निवेश करने की कटिबद्धता जताई है. डिजिटल पब्लिक इन्फ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्र में आठ देशों ने भारत सरकार के साथ एमओयू (MoUs) साइन किए हैं जबकि 25 से 30 और देशों के साथ जल्दी ही समझौते की उम्मीद है.
G-20 सम्मेलन से ठीक पहले बड़े भारतीय निवेशकों ने नाइजीरिया की अर्थव्यवस्था में लगभग 14 बिलियन अमेरिकी डॉलर का नया निवेश करने का वादा (New Investment Pledges) किया है. नाइजीरिया के राष्ट्रपति बोला अहमद टीनुबू के साथ दिल्ली में Nigeria-India Economic Roundtable के दौरान इस पर सहमति बनी.
नाइजीरिया के राष्ट्रपति ने भारतीय निवेशकों से कहा, "हम आपको निवेश के लिए सबसे बेहतर रिटर्न दिलाने के लिए तैयार हैं. नाइजीरिया आज निवेश के लिए सर्वोत्तम रिटर्न प्रदान करता है, इसलिए अभी निवेश करें."
नाइजीरिया सरकार की तरफ से जारी एक रिलीज़ के मुताबिक: Indorama Petrochemical Ltd ने नाइजीरिया में अपने उर्वरक उत्पादन और पेट्रोकेमिकल बिज़नेस के विस्तार पर आठ बिलियन अमेरिकी डॉलर का नया निवेश करने का वादा किया है. जिंदल स्टील एंड पावर लिमिटेड ने नाइजीरिया में तीन अरब डॉलर का नया निवेश करने की प्रतिबद्धता जताई है. SkipperSeil Limited ने बीस 100 MW के बिजली उत्पादन संयंत्र सेटअप करने पर 1.6 बिलियन डॉलर और भारती इंटरप्राइजेज ने भी नाइजीरिया में 700 मिलियन डॉलर का नया निवेश करने का फैसला किया है.
दरअसल भारत की G-20 प्रेसीडेंसी के दौरान काफी ज़्यादा फोकस अर्थव्यवस्था में निवेश बढ़ाने और आर्थिक विकास को आगे बढ़ाने पर रहा है जिसके अच्छे नतीजे आने लगे हैं.
फोकस विदेशी निवेश के साथ साथ डिजिटल इकॉनामी के क्षेत्र में आपसी सहयोग बढ़ाने पर भी है. अगस्त महीने में भारत में UPI के 10 बिलियन से ज्यादा ट्रांजेक्शंस हुए. डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर में भारत की क्षमता पर ग्लोबल स्पॉटलाइट रहा है. बहुत सारे देशों ने भारत से UPI सिस्टम सेटअप करने के लिए मदद मांगी है.
NDTV से बातचीत में आईटी राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने कहा, "भारत ने डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर सेटअप करने के लिए आठ देशों से MOU साइन कर लिए हैं. 25 से 30 और देश हैं जो ये समझौता करना चाहते हैं. भारत की UPI तकनीक की क्षमता पर एक ग्लोबल कंसेंसस बन गया है."
अब सबकी निगाहें G-20 देशों के राष्ट्राध्यक्षों और हेड्स ऑफ़ गवर्नमेंट्स के सम्मलेन पर है जो इस प्रक्रिया को और आगे बढ़ाने के लिए एक नया रोडमैप पेश करेगा.
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