दिल्ली के पूर्व मंत्री मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने एक खास टिप्पणी की. कोर्ट ने इस याचिका की सुनवाई के दौरान टिप्पणी की कि मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी में कुछ भी ऐसा नहीं जिसे गैर-कानूनी या गलत कहा जा सके. कोर्ट ने आगे कहा कि इसके अलावा, भले ही मनीष सिसोदिया की पत्नी की मेडिकल कंडिशन को जमानत देने के लिए एक आधार बनाने की मांग की गई है. लेकिन यह देखा गया है कि हालांकि मनीष सिसोदिया की पत्नी की न्यूरोलॉजिकल या मानसिक बीमारी को लगभग 20 साल पुराना होने का दावा किया गया है. इसके समर्थन में हमे सिर्फ वर्ष 2022-2023 के ही दिए गए हैं.
बता दें कि पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया निचली अदालत से शुक्रवार को बड़ा झटका लगा है. दिल्ली की विशेष सीबीआई अदालत ने इस केस में सिसोदिया की जमानत याचिका खारिज कर दी है. निचली अदालत के फैसले के खिलाफ मनीष सिसोदिया दिल्ली हाईकोर्ट में अपील करेंगे. आबकारी केस में सिसोदिया को 26 फरवरी को सीबीआई ने गिरफ्तार किया था. वह सीबीआई के साथ ही प्रवर्तन निदेशालय की जांच का भी सामना कर रहे हैं. सिसोदिया की न्यायिक हिरासत 5 अप्रैल को खत्म हो रही है.
सीबीआई की दलील से पहले पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने ट्रायल कोर्ट में अपनी जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान कहा था कि उन्हें हिरासत में रखने से सीबीआई का मकसद पूरा नहीं होगा. इस मामलें में सभी रिकवरी पहले ही की जा चुकी हैं. सिसोदिया ने कहा था, 'मैंने, सीबीआई की जांच में पूरा सहयोग किया. उन्होंने जब बुलाया, उनके पास हाजिर हुआ.'उन्होंने अपनी जमानत याचिका में इस बात का हवाला भी दिया था कि पब्लिक लाइफ में एक्टिव होने की वजह से समाज में उनकी गहरी जड़ें हैं. इस बात को ध्यान में रखते हुए वह जमानत पाने के हकदार हैं.
CBI ने किया था जमानत का विरोध
वहीं, सीबीआई के वकील डीपी सिंह ने पिछले सप्ताह मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका का यह कहते हुए विरोध किया था कि अगर उन्हें जमानत दी जाती है, तो वह जांच को प्रभावित कर सकते हैं. उनका प्रभाव और हस्तक्षेप बड़े पैमाने पर है. सीबीआई ने दावा किया था कि सिसोदिया ने कहा कि उन्होंने फोन इसलिए तोड़ दिए थे, क्योंकि वो अपग्रेड करना चाहते थे, जो वो बता रहे हैं वो सच नहीं है. हकीकत यह है कि उन्होंने चैट को खत्म करने के लिए ऐसा किया. ऐसे में उन्हें जमानत मिली तो वह सबूतों को नष्ट कर सकते हैं.
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