बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर ( Karpoori Thakur) को इस साल 'भारत रत्न' (मरणोपरांत) से सम्मानित किया जा रहा है. कर्पूरी ठाकुर बिहार में 2 बार मुख्यमंत्री और एक बार उप-मुख्यमंत्री रहे. उन्हें दबे-कुचलों और पिछड़े वर्गों के हितों की वकालत करने के लिए जाना जाता है. लोकसभा चुनाव 2024 (Lok Sabha Elections 2024) से पहले 'भारत रत्न' (Bharat Ratna)का ऐलान करके भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने विपक्षी दलों के INDIA अलायंस को बेचैन कर दिया है. इसे मोदी सरकार का 'मास्टर स्ट्रोक' माना जा रहा है. मरणोपरांत कर्पूरी ठाकुर को 'भारत रत्न' देने का ऐलान करके मोदी सरकार ने बिहार के सीएम नीतीश कुमार के EBC (अति पिछड़ा वर्ग) कार्ड पर भी बड़ा दांव खेला है. ऐसे में 2024 की जंग से पहले OBC वर्ग के 'हमदर्द' को लेकर भी बहस छिड़ गई है.
बिहार के सीएम नीतीश कुमार कई मौकों पर कर्पूरी ठाकुर के लिए 'भारत रत्न' की मांग कर चुके हैं. आइए समझते हैं कि कर्पूरी ठाकुर के लिए 'भारत रत्न' के ऐलान को INDIA अलायंस के खिलाफ बीजेपी का मास्टरस्ट्रोक कैसे माना जा रहा है:-
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चुनाव से पहले ही विपक्ष को पटखनी की कोशिश
दरअसल, बिहार के 'जननायक' कर्पूरी ठाकुर की बुधवार (24 जनवरी) को 100वीं जयंती है. इससे ठीक पहले ही मोदी सरकार ने 'भारत रत्न' के लिए कर्पूरी ठाकुर के नाम का ऐलान किया. दिक्कत ये है कि बीजेपी को घेरने के लिए INDIA अलायंस का कोई भी दल 'भारत रत्न' के ऐलान का विरोध नहीं कर सकेगा. नीतीश कुमार और लालू प्रसाद यादव तो ऐसा कतई नहीं करेंगे. अगर उन्होंने मोदी सरकार के इस कदम का विरोध किया, तो चुनाव से पहले OBC वोटर्स की नाराजगी झेलनी पड़ सकती है.
कर्पूरी ठाकुर को 'भारत रत्न' से सम्मानित करने का मोदी सरकार फैसला वैसे हर तरह से बीजेपी के लिए हितकारी ही साबित होता दिख रहा है:-
बिहार के सबसे बड़ा OBC चेहरा
कर्पूरी ठाकुर को बिहार का जननायक कहा जाता है. वो बिहार के सबसे बड़े OBC चेहरे भी थे. उन्होंने हर वर्ग के लिए काम किया. कर्पूरी ठाकुर ने कई ऐसे फैसले लिए जो न सिर्फ बिहार में बल्कि देश में मिसाल बने. उन्होंने देश में सबसे पहले पिछड़ा वर्ग को आरक्षण दिया. देश में सबसे पहले महिलाओं और आर्थिक रूप से कमजोर सवर्णों को आरक्षण देने का क्रेडिट भी कर्पूरी ठाकुर को जाता है. बता दें कि बाद में ये फैसला खत्म कर दिया गया था.
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कर्पूरी ठाकुर की विरासत में हिस्सेदारी की कोशिश
बिहार के दिग्गज नेता लालू प्रसाद यादव और नीतीश कुमार कर्पूरी ठाकुर की ही पाठशाला के छात्र रहे हैं. दोनों ने कर्पूरी ठाकुर से ही राजनीति के गुर सीखे थे. जनता दल यूनाइटेड और राष्ट्रीय जनता दल उनपर अपना एकाधिकार मानती आई है.
ऐसे में कर्पूरी ठाकुर के लिए देश के सबसे बड़े सम्मान का ऐलान करके बीजेपी ने चुनाव से पहले OBC वर्ग को टारगेट तो किया ही है, इसके साथ ही कर्पूरी ठाकुर की विरासत में हिस्सेदारी की कोशिश भी की है. इसके लिए बीजेपी पहली बार कर्पूरी ठाकुर के नाम पर समारोह आयोजित कर रही है.
बिहार के वोट बैंक को किया टारगेट
माना जाता है कि बिहार की राजनीति में कर्पूरी ठाकुर की विरासत वोट बैंक के रूप में 36 प्रतिशत से अधिक है. ये सभी अति पिछड़ी जातियों से हैं. इनके बल पर ही लालू प्रसाद 15 साल शासन में रहे. इसी आबादी के दम पर नीतीश कुमार बिहार की राजनीति में बने हुए हैं. अति पिछड़ी आबादी को नीतीश कुमार की सबसे बड़ी राजनीतिक पूंजी मानी जाती है, जिसे बीजेपी ने टारगेट किया है.
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नीतीश कुमार का गेम किया 'हाइजैक'
दरअसल, बिहार में 2023 के जाति आधारित गणना के बाद नीतीश कुमार ने अति पिछड़ी जातियों का आरक्षण कोटा बढ़ा दिया. ऐसा करके नीतीश कुमार ने खुद का 'अति पिछड़ा वर्ग का मसीहा' बताने की कोशिश की. लेकिन बीजेपी के इस ऐलान के बाद नीतीश कुमार की बेचैनी जरूर बढ़ गई होगी.
जनता से सीधा संवाद
मोदी सरकार का यह कदम बिहार की जनता से एक तरह से सीधा संवाद है. मोदी सरकार ने एक बार फिर संदेश देने की कोशिश की है कि उसकी राजनीति हर वर्ग के लिए है. किसी भी नेक शख्स का काम भुलाया नहीं जाएगा. समय आने पर सबको एक समान मौका मिलेगा और सम्मान भी.
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