ईरान ने अगले शनिवार को तेहरान (Tehran) में अफगान दूतावास को तालिबान ( Afghan Embassy to Taliban) को सौंपने का फैसला किया है. अफगानिस्तान इंटरनेशनल के एक सूत्र ने इसकी खबर की पुष्टि की है. सूत्रों के मुताबिक, 15 राजनयिकों ने तालिबान के साथ काम नहीं करने का फैसला किया है. इस्लामिक रिपब्लिक ने दूतावास को बंद कर दिया है. इन राजनयिकों को इस जगह में प्रवेश करने से रोक दिया है.
इससे पहले ईरान ने जनवरी में 3000 से अधिक अफगान शरणार्थियों को अपने देश से निकाल दिया था. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, हाल ही में इन शरणार्थियों को इस्लाम कला और पुले अब्रीशम सीमाओं से जबरदस्ती अफगानिस्तान भेजा गया. अफगानिस्तान में तालिबान की अंतरिम सरकार के शरणार्थी व प्रत्यावर्तन मंत्रालय के अनुसार, 24 और 25 जनवरी को लगभग 3123 अफगान प्रवासियों को ईरान से निष्कासित कर दिया गया. ईरान में हाल के दिनों में अफगान नागरिकों को हिरासत में लिया गया है और जबरन अफगानिस्तान भेज दिया गया है.
منابع افغانستان اینترنشنال تایید میکنند که ایران تصمیم گرفته است شنبه آینده سفارت افغانستان در تهران را به طالبان تحویل دهد.
— افغانستان اینترنشنال - خبر فوری (@AFIntlBrk) February 20, 2023
به گفته منابع، ۱۵دیپلومات تصمیم گرفتهاند باطالبان کار نکنند و جمهوری اسلامی هم در سفارت را بسته و این دیپلوماتها را از ورود به این محل منع کرده است. pic.twitter.com/dlD1r4lnN0
अफगानिस्तान के विदेश मंत्रालय के अनुसार, तालिबान के अफगानिस्तान की सत्ता पर काबिज होने के बाद कई अफगानों ने जीवन और भयानक आर्थिक स्थितियों की चिंता के कारण देश छोड़ दिया था. वर्तमान में ईरान में 40 लाख से अधिक अफगान नागरिक रहते हैं. तालिबान के अधिकारियों ने कहा है कि अफगान शरणार्थी हेरात और निमरूज प्रांतों के सीमाओं से अफगानिस्तान में प्रवेश कर चुके हैं. साथ ही उन्होंने ईरानी अधिकारियों से अफगान शरणार्थियों के साथ उचित व्यवहार करने की अपील की.
तालिबान ने अगस्त 2021 में अफगानिस्तान की सत्ता पर कब्जा कर लिया था. इसके बाद तालिबान के उत्पीड़न और मौत के डर से हजारों अफगान नागरिक देश छोड़कर भाग गए थे. बड़ी संख्या में अफगान नागरिकों ने दो पड़ोसी देशों ईरान और पाकिस्तान में शरण ली है.
वहीं, अफगानिस्तान में तालिबान शासन महिलाओं के अधिकारों का बर्बरतापूर्वक दमन कर रहा है. तालिबान ने सत्ता पर कब्जा करने के बाद ही शिक्षा, नौकरियों और उनकी आवाजाही पर प्रतिबंध लगाकर महिलाओं को घरों में कैद करने के लिए नियमों में बदलाव करने शुरू कर दिए थे.
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