Saturday, February 11, 2023

उत्तराखंड में तीर्थस्थलों के मार्ग में कचरा प्रबंधन की व्यवस्था अपर्याप्त : एनजीटी

राष्ट्रीय हरित अधिकरण ने कहा है कि उत्तराखंड में केदारनाथ, हेमकुंड साहिब, यमुनोत्री और गोमुख की तीर्थयात्रा के दौरान तीर्थयात्रियों के लिए कचरा प्रबंधन के मामले में राज्य प्रशासन की ओर से ‘‘घोर लापरवाही'' हुई है. अधिकरण एक याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें चारों तीर्थस्थलों के मार्ग में बड़े पैमाने पर पर्यावरण के उल्लंघन का दावा किया गया है.

अधिकरण ने कहा कि इससे पहले एनजीटी द्वारा गठित समिति ने उन जगहों का दौरा करने के बाद तथ्यात्मक रिपोर्ट पेश की थी. एनजीटी के अध्यक्ष न्यायमूर्ति ए के गोयल की अध्यक्षता में एक पीठ ने कहा कि इस रिपोर्ट में कहा गया है कि ‘‘कचरा प्रबंधन के लिए बुनियादी ढांचा अपर्याप्त है.''

एनजीटी अध्यक्ष न्यायमूर्ति गोयल की अध्यक्षता वाली पीठ में न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल और न्यायमूर्ति अरुण कुमार त्यागी के अलावा विशेषज्ञ सदस्य अफरोज अहमद भी शामिल थे. पीठ ने कहा, ‘‘घोड़ों के मल, ठोस कचरा और प्लास्टिक कचरे को रास्ते पर और उसके आस-पास और घाटी में देखा गया और सोख्ता गड्ढों वाले शौचालय कचरे से भरे हुए थे या शौचालय काम नहीं कर रहे थे.''

एनजीटी ने कहा कि रिपोर्ट के अनुसार यात्रा के भीड़-भाड़ वाले समय में ठोस या प्लास्टिक कचरा एवं मार्ग की सफाई के प्रबंधन के मामले में ‘‘और बदतर दृश्य'' उभरने की आशंका है. पीठ ने कहा, ‘‘2022 में 15,63,278 तीर्थयात्रियों ने यात्रा की थी और उत्तराखंड सरकार ने तीर्थयात्रियों की संख्या प्रतिदिन 13,000 तक सीमति की है.'' एनजीटी ने कहा, ‘‘स्थानीय लोगों से बातचीत में यह पाया गया कि हर साल मई और जुलाई से यह संख्या बढ़ जाती है.''



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