Wednesday, March 6, 2024

कोर्ट से वोट तक: पूर्व जस्टिस अभिजीत गंगोपाध्याय BJP में होंगे शामिल, विवादों से रहा है नाता

कलकत्ता हाईकोर्ट (Calcutta High Court) के जस्टिस अभिजीत गंगोपाध्याय (Former judge Abhijit Gangopadhyay ) ने मंगलवार (5 मार्च) को इस्तीफा दे दिया. वे इसी साल अगस्त में रिटायर्ड होने वाले थे. जस्टिस पद से इस्तीफा देने के कुछ घंटों बाद अभिजीत गंगोपाध्याय ने भारतीय जनता पार्टी (BJP) में शामिल होने का ऐलान किया. वो 7 मार्च को पार्टी की सदस्यता ले सकते हैं. गंगोपाध्याय के बंगाल के तामलुक सीट से चुनाव लड़ने की संभावना हैं.

अभिजीत गंगोपाध्याय ने मंगलवार दोपहर 2 बजे अपने घर पर प्रेस कॉन्फ्रेंस की और इस्तीफे का ऐलान किया. उन्होंने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को अपना इस्तीफा भेज दिया है. इसकी एक कॉपी CJI डीवाई चंद्रचूड़ और हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस टीएस शिवगणन को भी भेजी गई है.

पूर्व जस्टिस अभिजीत गंगोपाध्याय का विवादों से पुराना नाता रहा है. मई 2018 से हाईकोर्ट के जज बने जस्टिस गंगोपाध्याय कभी बड़ी बेंचों के आदेशों की अनदेखी करके तो कभी न्यूज चैनलों को इंटरव्यू देकर विवादों में रहे हैं. बंगाल के कथित शिक्षा घोटाले को लेकर ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली TMC सरकार के साथ उनका टकराव पिछले 2 सालों से होता आ रहा है. यहां तक कि उन्होंने कलकत्ता हाईकोर्ट के अपने साथी जज पर "राज्य की एक राजनीतिक पार्टी के लिए काम करने" का आरोप तक लगा दिया था.

इन मामलों को लेकर विवादों में रहे पूर्व जस्टिस अभिजीत गंगोपाध्याय:-

अभिषेक बनर्जी के खिलाफ पेंडिंग मामलों पर दिया बयान
पूर्व जस्टिस अभिजीत गंगोपाध्याय ने कथित तौर पर रिश्वत के बदले नौकरी घोटाले पर एक बंगाली न्यूज चैनल को इंटरव्यू दिया था. इसमें उन्होंने कथित तौर पर तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अभिषेक बनर्जी के खिलाफ बोला था. अप्रैल 2023 में सुप्रीम कोर्ट ने इस पर कड़ा रुख अपनाया था. शीर्ष अदालत ने कहा था कि जजों को पेंडिंग मामलों पर इंटरव्यू देने का कोई अधिकार नहीं है.

बीते साल 24 अप्रैल को CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा था, "मैं बस यह कहना चाहता हूं कि जजों को कोर्ट में पेंडिंग मामलों पर इंटरव्यू देने का कोई अधिकार नहीं है. अगर उन्होंने याचिकाकर्ता (अभिषेक बनर्जी) के बारे में ऐसा कहा है, तो उन्हें कार्यवाही में भाग लेने का कोई अधिकार नहीं है. सवाल यह है कि क्या एक जज को इस तरह के राजनीतिक व्यक्तित्व के बारे में सुनवाई में भाग लेने की अनुमति दी जानी चाहिए."

सुप्रीम कोर्ट के सेक्रेटरी जनरल को दिया आदेश
इसके कुछ दिनों बाद 28 अप्रैल 2023 को CJI डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली सुप्रीम कोर्ट ने कलकत्ता हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल से एक रिपोर्ट मांगी थी कि क्या जस्टिस गंगोपाध्याय ने इंटरव्यू दिया था. जवाब हां में मिलने पर सुप्रीम कोर्ट ने कलकत्ता हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस को आदेश दिया कि इस मामले को जस्टिस गंगोपाध्याय से लेकर किसी दूसरे बेंच को सौंप दिया जाए.

केस से हटाने पर कलकत्ता HC के जज ने मांगी इंटरव्यू की ट्रांसक्रिप्ट, SC ने आदेश पर लगाई रोक

सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के कुछ घंटों के अंदर ही, जस्टिस गंगोपाध्याय ने स्वत: संज्ञान लेते हुए एक आदेश पारित किया, जिसमें उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के सेक्रेटरी जनरल को यह निर्देश दिया कि वह बंगाली मीडिया को दिए गए उनके इंटरव्यू पर SC में जमा की गयी रिपोर्ट और आधिकारिक ट्रांसलेशन उनके सामने पेश करें.

इस स्वत: संज्ञान आदेश के बाद मजबूरन सुप्रीम कोर्ट को इस पर रोक लगाने के लिए देर शाम एक विशेष सुनवाई करनी पड़ी. जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस हेमा कोहली की बेंच ने यह भी कहा कि जस्टिस गंगोपाध्याय द्वारा ऐसा आदेश देना 'न्यायिक अनुशासन के खिलाफ' था.

जब साथी जज पर लगाया खास पार्टी के लिए काम करने का आरोप
जस्टिस गंगोपाध्याय की सिंगल बेंच ने एक MBBS कैंडिडेट की ओर से दायर याचिका पर पश्चिम बंगाल के मेडिकल कॉलेजों और अस्पतालों में MBBS कैंडिडेट्स के एडमिशन में कथित घोटाले की CBI जांच का निर्देश दिया था. इसके बाद पश्चिम बंगाल सरकार ने कलकत्ता हाईकोर्ट की 2 जजों की बेंच का रुख किया. इसके बाद जस्टिस सौमेन सेन और उदय कुमार की बेंच ने मामले की सीबीआई जांच के आदेश पर रोक लगा दी.

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इस मामले में जस्टिस गंगोपाध्याय की सिंगल बेंच ने कहा कि दो जजों की बेंच की ओर से पारित आदेश पूरी तरह से अवैध है और इसे नजरअंदाज किया जाना चाहिए. जस्टिस गंगोपाध्याय ने अपने आदेश में जस्टिस सेन पर राज्य की एक राजनीतिक पार्टी के लिए काम करने का भी आरोप लगाया है.

वकील को कोर्ट रूम से गिरफ्तार करने का दिया था आदेश
पिछले साल दिसंबर में, कलकत्ता हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने अभिजीत गंगोपाध्याय के बहिष्कार की घोषणा की थी, क्योंकि गंगोपाध्याय ने अवमानना ​​के आरोप में एक वकील को अपने कोर्ट रूम से गिरफ्तार करने का आदेश दिया था. हालांकि, 18 दिसंबर को जारी आदेश बाद में वापस ले लिया गया था. इस मामले को लेकर कलकत्ता हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने चीफ जस्टिस से संपर्क किया. उन्होंने कहा कि एसोसिएशन का कोई भी सदस्य उनकी अदालत में तब तक कदम नहीं रखेगा, जब तक वह संबंधित वकील और बार से माफी नहीं मांग लेते.

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गंगोपाध्याय दो दिनों तक अदालत से दूर रहे. फिर उन्होंने बार एसोसिएशन के सदस्यों से बात की और किसी भी गलतफहमी को भूल जाने की अपील की. इसके बाद वकीलों ने उनका बहिष्कार खत्म कर दिया.

नई पारी
अब इस्तीफे के बाद अभिजीत गंगोपाध्याय ने कहा कि वह बीजेपी में शामिल होंगे. उन्होंने तृणमूल कांग्रेस, सीपीएम और कांग्रेस पर कटाक्ष करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ की. गंगोपाध्याय ने कहा, "तृणमूल फूट रही है... इसका मतलब भ्रष्टाचार है. पीएम मोदी बहुत मेहनती आदमी हैं. वह इस देश के लिए बहुत कुछ करने की कोशिश कर रहे हैं. भगवान और धर्म में उनकी आस्था है. लेकिन सीपीएम ऐसा नहीं करती है और कांग्रेस एक परिवार की जमींदारी बनकर रह गई है."

कलकत्ता हाईकोर्ट के जज अभिजीत गंगोपाध्याय ने कहा - 'मैं मंगलवार को इस्तीफा दे दूंगा'



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