वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने अमेरिका एवं चीन के व्यापार मंत्रियों की मौजूदगी में शुक्रवार को कहा कि चीन की अगुवाई वाले क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी आरसीईपी गठजोड़ का भारत के हिस्सा न बनने की वजह यह रही कि इससे व्यापार घाटा बढ़ जाता. इसके साथ ही गोयल ने अमेरिका के साथ व्यापार अधिशेष की तरफ इशारा करते हुए कहा कि भारत का 'दिल' अमेरिका से जुड़ा हुआ है.
गोयल ने यह टिप्पणी राजधानी में आयोजित 'बी20 शिखर सम्मेलन' में व्यापार मंत्रियों के एक परिचर्चा सत्र में की. इस दौरान चीन के व्यापार उप मंत्री वांग शोउवेन और अमेरिका की व्यापार प्रतिनिधि कैथरीन तेई भी मौजूद थीं. गोयल ने शोउवेन से पूछा कि क्या चीन को भारत के आरसीईपी का हिस्सा न बनने का अफसोस है. इस पर चीन के मंत्री ने कहा कि अगर भारत इस समझौते का हिस्सा बना होता तो दोनों देशों के बीच व्यापार संभावनाएं और भी बढ़ी होतीं, जिससे दोनों देशों को फायदा होता.
इसके साथ ही शोउवेन ने कहा, 'यह फैसला आपको ही करना है कि आप आरसीईपी का हिस्सा बनेंगे या नहीं, लेकिन भारत के लिए आरसीईपी के दरवाजे हमेशा खुले रहेंगे.' इस पर गोयल ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा, 'द्विपक्षीय व्यापार बढ़ा रहता लेकिन उसके साथ व्यापार घाटा भी बढ़ जाता. हम पहले से ही चीन के साथ 130 अरब डॉलर का व्यापार चीन के पक्ष में झुके होने को लेकर चिंतित हैं. भारतीय उद्योग जगत का मानना है कि आरसीईपी का हिस्सा बनने की स्थिति में व्यापार बढ़ने के साथ घाटा भी बढ़ जाता.'
चीन के व्यापार उप मंत्री ने भारत के व्यापार हितों का ध्यान रखने में गोयल के प्रयासों की तारीफ करते हुए कहा, 'भले ही आप हरेक देश के साथ व्यापार को संतुलित नहीं कर पाए हों लेकिन अपने देश के लिए वैश्विक व्यापार संतुलन साधने में आप बहुत सफल रहे हैं.' चीन के साथ भारत का व्यापार घाटा 83 अरब डॉलर का है, जबकि अमेरिका के साथ भारत 28 अरब डॉलर के व्यापार अधिशेष में है.
इसी को ध्यान में रखते हुए गोयल ने हल्के-फुल्के अंदाज में कहा, 'मेरा दिल अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि के साथ है.' उनका इशारा कैथरीन ताई की तरफ था. उन्होंने विश्व व्यापार संगठन में भारत और अमेरिका के बीच विवाद का विषय रहे सात में से छह मुद्दों के द्विपक्षीय निपटान में कैथरीन ताई के प्रयासों की सराहना भी की.
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