पाकिस्तान में एक सुदूर घाटी के ऊपर क्षतिग्रस्त केबल कार में फंसे आठ लोगों को सुरक्षित बचा लिया गया है. इनमें छह बच्चे भी शामिल हैं. सैन्य हेलीकॉप्टरों और जिपलाइन विशेषज्ञों की मदद से मंगलवार को इन्हें बचाया गया. करीब 12 घंटे तक हवा में रहने और दिन का उजाला कम होने के बाद एक हेलीकॉप्टर द्वारा दो बच्चों को सुरक्षित निकालने के साथ यह बचाव अभियान शुरू हुआ. हालांकि हेलीकॉप्टर को अंधेरा होने के कारण बेस पर वापस लौटना पडा. बचावकर्मियों ने गोंडोला को घाटी में गिरने से बचाने वाली केबल का जिपलाइन के रूप में इस्तेमाल किया और मंगलवार देर रात तक फंसे बाकी लोगों को भी सुरक्षित रूप से निकाल लिया गया.
पाकिस्तान की आपातकालीन सेवा रेस्क्यू 1122 के बिलाल फैजी ने कहा, "बचाव अभियान पूरा हो गया है. दो वयस्क बचाए जाने वाले आखिरी व्यक्ति थे." साथ ही सेना ने भी बचाव कार्य के सफलतापूर्वक संपन्न होने की पुष्टि की है.
बचाव अभियान के वीडियो में एक किशोर हेलीकाप्टर के नीचे झूलती रस्सी से लटकता नजर आ रहा है और भीड़ खुशी से चिल्ला रही थी.
फैजी ने कहा, बचावकर्मियों ने एक पहाड़ की चोटी पर एक अस्थायी शिविर स्थापित किया है और प्राथमिक चिकित्सा प्रदान की जा रही है.
छह बच्चे स्कूल जा रहे थे. उस वक्त सुबह लगभग करीब 7:00 बजे चेयरलिफ्ट यात्रा के बीच में टूट गई, जो हरी-भरी अल्लाई घाटी के ऊपर थी. यहां के निवासियों ने अधिकारियों को इस बारे में बताने के लिए मस्जिद के लाउडस्पीकरों का इस्तेमाल किया और सैकड़ों लोग घाटी के दोनों किनारों पर एकत्रित हो गए.
अधिकारी रहमान ने बताया कि दिन की शुरुआत में कई सैन्य हेलीकॉप्टरों ने उड़ान भरी. भोजन, पानी और दवा पहुंचाने के लिए एक एयरमैन को हार्नेस से नीचे उतारा गया.
कार्यवाहक प्रधानमंत्री अनवर-उल-हक काकर ने एक्स पर पोस्ट किया, "सेना, रेस्क्यू विभाग, जिला प्रशासन के साथ स्थानीय लोगों द्वारा शानदार टीम वर्क." उन्होंने पहले पहाड़ी क्षेत्रों में सभी चेयरलिफ्टों का निरीक्षण करने और जो सुरक्षित नहीं हैं उन्हें तुरंत बंद करने का निर्देश जारी किया था.
हेडमास्टर अली असगर खान ने बताया कि बच्चे उनके सरकारी हाई स्कूल बट्टांगी पश्तो के छात्र थे. खान ने कहा, "स्कूल पहाड़ी इलाके में स्थित है और वहां कोई सुरक्षित क्रॉसिंग नहीं है, इसलिए चेयरलिफ्ट का उपयोग आम बात है."
क्षेत्र के एक अन्य स्कूल के शिक्षक आबिद उर रहमान ने कहा कि बचाव अभियान को देखने के लिए लगभग 500 लोग एकत्र हो गए. उन्होंने बताया, "माता-पिता और महिलाएं अपने बच्चों की सुरक्षा के लिए रोने लगे."
खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के एक वरिष्ठ अधिकारी सैयद हम्माद हैदर ने कहा कि गोंडोला जमीन से लगभग 1,000 से 1,200 फीट ऊपर लटका हुआ था.
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