दिल्ली में आर्थिक अपराध का एक चौंकाने मामला सामने आया है, जिसमें निजी भर्ती कंपनी के एक कर्मचारी ने कथित तौर पर धोखाधड़ी करके अपनी बेरोजगार पत्नी को 10 साल तक काम पर रखा हुआ दिखाया और यह सुनिश्चित किया कि उसके खाते में नियमित रूप से वेतन पहुंचता रहे. इससे कंपनी को करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ.
दिल्ली में स्थित कंपनी को पिछले साल दिसंबर में जब यह आभास हुआ कि रिकॉर्ड से छेड़छाड़ की गई है, तो उसने आंतरिक जांच की जिसमें अपराध सामने आया. पिछले सप्ताह उसने दिल्ली पुलिस में प्राथमिकी दर्ज कराई, जिसके बाद पुलिस ने जांच शुरू की. मामला मैनपावरग्रुप सर्विस प्राइवेट लिमिटेड से संबंधित है, जो विभिन्न कंपनियों को कर्मचारी और भर्ती सेवाएं प्रदान करती है.
पुलिस को दी गई मैनपावरग्रुप की शिकायत के अनुसार राधाबल्लव नाथ ने 2008 में सहायक प्रबंधक (वित्त) के रूप में कंपनी में काम शुरू किया, जिसके बाद उसे पदोन्नति देकर प्रबंधक (वित्त) नियुक्त किया गया. नाथ ने कथित तौर पर कंपनी को धोखा देकर अपनी बेरोजगार पत्नी के लिए आय का नियमित स्रोत तैयार करने की योजना बनाई.
चूंकि कंपनी डेटा गोपनीयता को उच्च प्राथमिकता देती है, इसलिए इसने केवल तीन अधिकारियों - निदेशक (मानव संसाधन), मुख्य मानव संसाधन अधिकारी (सीएचआरओ) और नाथ को मासिक वेतनमान व प्रतिपूर्ति डेटा तक पहुंच की अनुमति दी थी.
नाथ बाहरी वेतन वेंडर और कंपनी के अन्य विभागों, जैसे मानव संसाधन और वित्त, के बीच एक कड़ी था. वह मासिक भुगतान रजिस्टर तैयार करने के लिए नए भर्ती हुए कर्मचारियों, कंपनी छोड़ चुके लोगों और मौजूदा कर्मचारियों की हाजिरी से संबंधित डेटा वेतन वेंडर को भेजता था। वेंडर मासिक भुगतान रजिस्टर तैयार करके नाथ को भेजता था, जो इसे निदेशक (मानव संसाधन) को भेज देता था.
इसके बाद यह रजिस्टर अंतिम मंजूरी के लिए मुख्य मानव संसाधन अधिकारी (सीएचआरओ) को भेजा जाता था. सीएचआरओ इसे मंजूरी देता था और इसे निदेशक (मानव संसाधन) को वापस भेज देता था, जो इसे अंतिम वेतन रजिस्टर के रूप में नाथ को भेज देता था. नाथ वेतन जारी करने के लिए अंतिम वेतन रजिस्टर बैंक को भेजने के लिए जिम्मेदार था. कंपनी ने आरोप लगाया है कि नाथ रजिस्टर को बैंक में भेजने से पहले इसमें हेरफेर कर अपनी पत्नी का नाम डाल देता था.
प्राथमिकी में कहा गया है, 'राधाबल्लव नाथ को 11 दिसंबर, 2022 को निलंबित कर दिया गया था और मैनपावरग्रुप द्वारा एक आंतरिक समिति का गठन किया गया था, जिसने 8 दिसंबर, 2022 को टीम की बैठक में सामने आई विसंगति के बारे में पूछताछ के लिए नाथ को बुलाया.”
प्राथमिकी में कहा गया है कि दस्तावेजों से सामना कराने पर नाथ ने स्वीकार किया कि उसने 2012 के बाद से अपनी पत्नी के बैंक खाते में अवैध रूप से 3.6 करोड़ रुपये स्थानांतरित किए हैं.
नाथ ने यह भी स्वीकार किया कि उसने अपना वेतन बढ़ा-चढ़ाकर दिखाया और पिछले कई वर्षों में अपने खाते में 60 लाख रुपये स्थानांतरित किए, जिससे कंपनी को कुल 4.2 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ.
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