दिल्ली उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालयों के समूह से पूछा कि जब मेडिकल और इंजीनियरिंग पाठ्यक्रमों के लिए प्रवेश परीक्षाएं क्षेत्रीय भाषाओं में आयोजित की जा सकती हैं तो साझा विधि प्रवेश परीक्षा (सीएलएटी) क्यों नहीं, जो अंग्रेजी में आयोजित की जाती है. उच्च न्यायालय ने सीएलएटी-2024 को न केवल अंग्रेजी बल्कि क्षेत्रीय भाषाओं में भी आयोजित कराने के अनुरोधी वाली याचिका पर अपनी प्रतिक्रिया दाखिल करने के लिए समूह को चार सप्ताह का समय दिया.
मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की पीठ ने कहा कि ऐसे विशेषज्ञ हैं जो राष्ट्रीय पात्रता व प्रवेश परीक्षा (नीट) के प्रश्नपत्रों का क्षेत्रीय भाषाओं में अनुवाद करते हैं, फिर ‘‘हम इन प्रश्नपत्रों (सीएलएटी) का क्षेत्रीय भाषाओं में अनुवाद क्यों नहीं करवा सकते?''
पीठ ने कहा, "अगर चिकित्सा शिक्षा हिंदी में पढ़ाई जा सकती है, अगर एमबीबीएस की प्रवेश परीक्षा हिंदी में हो सकती है, जेईई हिंदी में हो सकती है, तो आप किस बारे में बात कर रहे हैं." पीठ ने कहा कि ऑल इंडिया बार परीक्षा (एआईबीई) भी हिंदी में आयोजित की जाती है.
विधि विश्वविद्यालयों के समूह के वकील ने कहा कि समूह याचिका को प्रतिकूल नहीं मान रहा, और यह सहमति है कि परीक्षा अन्य भाषाओं में भी आयोजित की जानी चाहिए. उन्होंने कहा, "विचार निश्चित रूप से इसे और अधिक समावेशी बनाने के लिए है. एकमात्र चिंता यह है कि हमारे पास कानूनी ज्ञान के साथ आवश्यक भाषाई विशेषज्ञ होने चाहिए."
दिल्ली विश्वविद्यालय में कानून के छात्र सुधांशु पाठक द्वारा दायर जनहित याचिका में दलील दी गई है कि सीएलएटी (स्नातक) परीक्षा "भेदभाव" करती है और उन छात्रों को "समान अवसर" प्रदान करने में विफल रहती है जिनकी शैक्षिक पृष्ठभूमि क्षेत्रीय भाषाओं से जुड़ी है.
याचिकाकर्ता की तरफ से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता जयंत मेहता ने कहा कि समूह द्वारा जल्द से जल्द जवाब देना जरूरी है अन्यथा मामला निष्फल हो जाएगा क्योंकि इस साल के अंत तक परीक्षा निर्धारित है. उन्होंने कहा कि अगर मामले की जल्द सुनवाई नहीं हुई तो समूह कहेगा कि अब उसके पास अंग्रेजी के प्रश्नपत्र को अन्य क्षेत्रीय भाषाओं में अनुवाद करने का समय नहीं है.
वरिष्ठ अधिवक्ता की दलीलों से सहमति जताते हुए पीठ ने कहा, "वरिष्ठ अधिवक्ता जयंत मेहता की चिंता जायज है. इसलिए, प्रतिवादी संख्या एक (राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालयों के समूह) को जवाब दाखिल करने के लिए चार सप्ताह का समय दिया जाता है."
पीठ ने मामले को आगे की सुनवाई के लिए सात जुलाई को सूचीबद्ध किया.
केंद्र सरकार के स्थायी वकील भगवान स्वरूप शुक्ला ने कहा कि एमबीबीएस पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए आयोजित की जाने वाली नीट, इंजीनियरिंग कॉलेजों तथा आईआईटी (भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान) के लिए आयोजित की जाने वाली जेईई (संयुक्त प्रवेश परीक्षा) अधिकांश क्षेत्रीय भाषाओं में भी आयोजित की जाती है. उन्होंने मामले में निर्देश लेने के लिए समय मांगा और अदालत ने उन्हें चार सप्ताह का समय दिया.
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