जयपुर पुलिस ने एक बाल संस्था के साथ मिलकर भट्टाबस्ती में स्थित एक मकान में रेड मारी और 26 बाल मजदूरों को रेस्क्यू किया. इन बच्चों को उनके माता-पिता ने सिर्फ 500-500 रुपये में एक चूड़ी व्यापारी को बेच दिया था. वो उन्हें पहले बिहार से जयपुर लाया. इन बच्चों से दिन के 18-18 घंटे काम करवाया जाता था और उन्हें प्रताड़ित किया जाता था. बच्चों की उम्र 7 से 11 साल के बीच है.
इन बच्चों के हाथों में या तो पेंसिल और किताब होनी चाहिए या ये किसी मैदान में हंसते खेलते दिखने चाहिए. लेकिन गरीबी की ये मजबूरी है कि इन बच्चों को बिहार से इनके ही मां बाप ने जयपुर में काम करने भेजा है. ये काम नहीं... असल में एक तरह की ग़ुलामी है. 12 जून को पुलिस ने जिन बच्चों को रेस्क्यू किया वे सभी बिहार के सीतामढ़ी और मुजफ्फरपुर के निवासी हैं. रेस्क्यू के बाद जब बाल संस्था और पुलिस को पता चला कि इन मासूमों से दिन के 18-18 घंटे काम करवाया जाता है और खाने के नाम पर केवलदो वक्त खिचड़ी दी जाती है, तो पुलिसकर्मियों की भी आंखें भर आईं.
बच्चों ने बताया कि उन्हें शाहनवाज उर्फ गुड्डू नामक एक शख्स ने उनके माता-पिता को महज 500-500 रुपये देकर खरीद लिया और बिहार से यहां ले आया. शाहनवाज़ उन्हें एक कमरे में बंद करके रखता था. कमरे में 26 बच्चे रहते थे. रोज सुबह से 6 बजे से रात के 11 बजे तक उनसे लाख के गहने बनवाए जाते थे. इतनी सी उम्र में ऐसा काम करके और हर दिन सुबह-शाम खिचड़ी खाकर कुछ बच्चे बीमार भी पड़ गए हैं.
रेस्क्यू किए गए बच्चों ने पुलिस के सामने कहा कि इस काम में शाहनवाज की बीवी भी शामिल है. दोनों के खुद के चार बच्चे भी हैं, जिन्हें शाहनवाज और पत्नी छापेमारी के वक्त वहीं छोड़कर भाग निकले. पुलिस ने जब रेस्क्यू किए गए बच्चों का मेडिकल करवाया तो इनमें से 11 वर्षीय एक बच्चा जांच में कुपोषित निकला, जिसे अस्पताल में एडमिट करा दिया गया है. फिलहाल पुलिस शाहनवाज और उसकी पत्नी की तलाश में लग गई है. वहीं, आरोपी पति-पत्नी के 4 बच्चे पुलिस के ही पास हैं.
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