Wednesday, June 7, 2023

क्या बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ अपने बयान से पलट गईं नाबालिग पहलवान? जानें क्या है सच?

भारतीय कुश्ती महासंघ (WFI) के प्रमुख और बीजेपी सांसद बृजभूषण शरण सिंह (BrijBhushan Sharan Singh) पर यौन उत्पीड़न के आरोपों को लेकर पहलवान (Wrestlers protest)अब ड्यूटी पर वापस लौट चुके हैं. दिल्ली पुलिस मामले की जांच कर रही है. इस बीच ऐसी खबर आ रही है कि बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ बयान दर्ज कराने वाली इकलौती नाबालिग महिला पहलवान ने अपने आरोप वापस ले लिए हैं. कई मीडिया रिपोर्ट में यह दावा किया जा रहा है कि यौन उत्पीड़न का आरोप लगाने वाली 7 महिला पहलवानों में इकलौती नाबालिग मजिस्ट्रेट के सामने दर्ज कराए गए अपने पुराने बयान से पलट गई हैं. उन्होंने नया बयान दर्ज कराया है.

बृजभूषण शरण सिंह और पहलवानों के मामले में रविवार को ऐसी खबरें आईं कि एफआईआर दर्ज करने वाली नाबालिग पहलवान अपने बयान से पलट गई हैं. मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया कि नाबालिग ने 2 जून को परिवार वालों के साथ दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट में जाकर अपना बयान बदल दिया. खबर के फैल जाने के बाद लड़की के पिता ने सामने आकर NDTV को सच्चाई बताई है. 

नाबालिग के पिता ने बताया सच
कई मीडिया रिपोर्ट्स में यह दावा किया गया है कि नाबालिग का बयान मजिस्ट्रेट के सामने दर्ज कराया गया था. दावा ये किया गया कि इस दौरान एफआईआर दर्ज कराने वाले लड़की के पिता और उसके दादा साथ मौजूद थे, जबकि लड़की के पिता का कुछ और ही कहना है.

लड़की के पिता ने रिपोर्ट का किया खंडन
लड़की के पिता ने NDTV से बातचीत में इन मीडिया रिपोर्ट का खंडन किया है. लड़की के पिता ने कहा कि मेरी बेटी की शिकायत के कारण ही बृजभूषण शरण सिंह पर पॉक्सो एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया है. बाकी पहलवान इसी कारण लगातार बृजभूषण शरण सिंह की गिरफ्तारी की मांग कर रहे हैं. बता दें कि नाबालिग पहलवान ने 10 मई को मजिस्ट्रेट के सामने अपना पहला बयान दर्ज कराया था. 

बजरंग पुनिया बोले- आंदोलन को बदनाम करने की हो रही कोशिश
NDTV से एक्सक्लूसिव बातचीत में प्रदर्शन कर रहे पहलवान बजरंग पुनिया ने भी मीडिया रिपोर्ट्स का खंडन किया. उन्होंने कहा कि मीडिया पहलवानों के आंदोलन को बदनाम करने की कोशिश कर रही है. नाबालिग लड़की ने अपने बयान नहीं बदला है.

बृजभूषण शरण सिंह पर लगी ये धाराएं
एफआईआर के आधार पर बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ पॉक्सो ऐक्ट (प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रन फ्रॉम सेक्सुअल ऑफेंसेज) की धारा 10 और आईपीसी की धारा 354, 354 ए, 354 डी और 34 के तहत केस दर्ज किया गया है. पॉक्सो ऐक्ट की धारा 10 नाबालिग के यौन उत्पीड़न से जुड़ी है. इसमें 7 साल तक की सजा का प्रावधान है. दूसरी तरफ आईपीसी की धारा 354 के तहत दोषी पाए गए शख्स को 3 साल तक की सजा हो सकती है.
 

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